बच्चे की सेवा में जो पसीना बहाती हैं ,
बच्चे की खुशी के लिए जो अपना खून सुखाती हैं
अपने आँख के तारे को जो पलको पर सजाती हैं
वेह सम्मान पाती हैं, वह महान कहलाती हैं
अपने दिल के तुकरे के हर खाव जो भरती हैं
अपने न्यारे-प्यारे के हर दुःख जो हरती हैं
अपने लाडले को संकट से बचने को, पूरे समाज से लार्थी हैं
वह खाव भरता हैं, वह हर दुःख हरता हैं
जिसने रात को उसे लोरी खूब सुनाई हैं
ख़ुद गीले में रह कर उसे सूखे में सुलाई हैं
ख़ुद जाग कर झूले उसे झुलाई हैं
हम बच्चो के मन में इज्जत और मान उसी ने पाई हैं
और वो महान देवी एक माँ कहलाई हैं
I am Raghav Sharma, a student of Class VI. I study in St. Anthony Secondary School Sector 9 Faridabad. I love to paint, write poems and novels. I have been publishing a childrens' magazine in my summer vacations for last two years. I love to talk and read new books.
Friday, May 9, 2008
Thursday, May 1, 2008
Ramayan
आइये मेरे राघव शर्मा के साथ और जानिए वह सुनहरा युग ,, जिसे ज्ञात कर अंधकार भी बिना दिए के रोशन हो जाता हैं . सुनिए एक अपूर्व गाथा श्री राम के जनम से रावण वध की पूरी देविक कहाँनि i एक कविता के रूप में
रामायण
राजा दशरथ धे चिंता में लेते , सोच रहे थे मेरे नही हैं बेटे
वेह थे चिंता से बिल्कुल मौन , मेरे बाद अयोध्या पति बनेगा कौन
एक दिन आए ऋषि वशिष्ट और दिया सुजाव एक , दूर गुफा में हैं एक संत बड़े ही नेक
उनसे करवाओ एक दिव्य यज्ञ टंकी अयोध्या की कीर्ति हो जाया सर्वज्ञ
कुछ समय पश्चात , झूम उद्इ अयोधा सारी , खिल उधि ठेरों फूलों की क्यारीन
राजा की थी तीन रनिया प्यारी , कौशल्या , सुमित्रा और कैकियी सबसे दुलारी
राजा की थी तीन रनिया प्यारी , कौशल्या , सुमित्रा और कैकियी सबसे दुलारी
दिव्य यज्ञ हुआ फलीभूत , और अयोध्या की खुशी चाई सर्याग्य
खुशिओं की थी चाई रीत , सब देवता झूमे और गाने लगे गीत
उस दिन था बढ़ा ही शुभ्वार , जब जनम लिए विष्णु अवतार
रामायण
राजा दशरथ धे चिंता में लेते , सोच रहे थे मेरे नही हैं बेटे
वेह थे चिंता से बिल्कुल मौन , मेरे बाद अयोध्या पति बनेगा कौन
एक दिन आए ऋषि वशिष्ट और दिया सुजाव एक , दूर गुफा में हैं एक संत बड़े ही नेक
उनसे करवाओ एक दिव्य यज्ञ टंकी अयोध्या की कीर्ति हो जाया सर्वज्ञ
कुछ समय पश्चात , झूम उद्इ अयोधा सारी , खिल उधि ठेरों फूलों की क्यारीन
राजा की थी तीन रनिया प्यारी , कौशल्या , सुमित्रा और कैकियी सबसे दुलारी
राजा की थी तीन रनिया प्यारी , कौशल्या , सुमित्रा और कैकियी सबसे दुलारी
दिव्य यज्ञ हुआ फलीभूत , और अयोध्या की खुशी चाई सर्याग्य
खुशिओं की थी चाई रीत , सब देवता झूमे और गाने लगे गीत
उस दिन था बढ़ा ही शुभ्वार , जब जनम लिए विष्णु अवतार
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