भाग - २ - जनम पश्चात् ...
अयोध्या नरेश को हुऐ चार बालक
कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी थी जिनकी पालक !!
ऋषियों - मुनियों ने मंत्रो का किया उच्चारण
और शुरू हुआ बालको का नाम-करण !!
कौशल्या नंदन का रखा गया नाम
जो की था पुरुषोत्तम राम !!
ऋषिवर बोले ' यह है बड़ा तेजस्विवान'
मंथरा को छोड़ हर चेहरे पर छा गयी मुस्कान !!
सुमत्रा को हुऐ थे दो बालक प्यारे
जो बने दशरथ की आँखों के तारे !!
ऋषि ने किया अपना आगे का काम
लक्ष्मण और शत्रुघ्न रखे उनके नाम !!
कैकयी पुत्र का रखा गया भरत नाम
प्रजा का भरण - पोषण निर्धारित हुआ उसका काम !!
ऋषि जी बोले, यह बनेंगे विद्वान
अब मंथरा के चेहरे पर भी छाई मुस्कान !!
भरत और राम का वर्ण था श्याम
और सबके लाडले बने श्री राम !!
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