ताड़का वध
मार्ग में ऋषि ने राम को युद्घ विद्या समझाई
चलते हुऐ मार्ग में फिर सरयू नगरी आई !!
सरयू नगरी थी हमेशा से ही बहुत वीरान
रहती थी वहा ताड़का, करती सबको परेशान !!
ताड़का जो थी मायावी राक्षस मारीच की माता
उसे ना था कोई दिव्य कर्म, यज्ञ आदि भाता !!
जब ऋषिवर ने राम को ताड़का के कुकर्म का परिचय करवाया
तो तुंरत ही ताड़का वध का राम ने संकल्प उठाया !!
श्री राम की धनुष टंकार से मच गया हर तरफ शोर
भड़क उठी राख्श्सी ताड़का और युद्घ हुआ घनघोर !!
राम ने थी ताड़का पर जल्दी ही विजय पाई
इस पर ऋषि विश्वामित्र ने दी उन्हें बधाई !!
प्रभु राम के दिव्य अस्त्रों से होता है जिसका भी संहार
पा लेता वह मोक्ष, निश्चित है उसका उदगार !!
No comments:
Post a Comment